कबिता

तुझको मै जान लु मुझको तु जान ले
तुझको पहचान लु मुझको पहचान ले
है बहुतही सरल प्यारकी व्याकरण
तुझको मै मान लु मुझको तु मान ले

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देखक चेहरा आहाँक चाँन्द लाजाय ये।
फुरसतसे आहाँक भगवान बनाईले भुझाय ये।।

गोर चेहराप लाल रंगक सारी लागिछि एकटा सराबक पियाली।
खुलल आहाँक कारी केश हाथमे मोबाइल सोहाय ये।

कियक चाहि गहनागुरिया आहाँक ओसने लागैछी दुलहन।
देखक आहाँक ढोरहक लाली जियरा हमारो तरस जाय ये।।

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