कबिता

सरस्वती ई नाम सेहो बहुत सार्थक अछि| संस्कृत में 'सृफ धातु में एकटा प्रत्यय (असुन्) लगा ई शब्द बनल छैक| 'सृफ केर अर्थ होईत छै गति| गति सृजनक आवश्यक तत्व होइत छैक, तैंह सरस्वती 'गति आ क्रियाशीलता के सेहो अधिष्ठात्री देवी छथि| वैदिक साहित्य में हुनका नदी केर देवी कहल गेल छैन्ह| नदी शब्द संस्कृतक 'नदफ सँ बनल अछि, जाकर अर्थ छैक शब्द वा ध्वनि| नदी के सरस्वती नाम सँ अभिहित कयल गेल अछि किया त ओ नाद करैत निरंतर गतिमान रहैत अछि| निरंतर गतिशील रहबाक कारण नदी के सरिता सेहो कहल जैत अछि| नदी, वास्तव में जल मात्र नै, जीवन के प्रवाह के प्रतीक थिकै, तांहि वैदिक काल में नदी सब के सरस्वती कहल गेल। वास्तव में धरती पर प्रवाहित जतेको सरणी अछि, ओ सब 'सरस्वती छथि वसंत पंचमी सृष्टि के नवांकुरणक पावैन थिकै, 'कामक पर्व थिकै| ई भगवती सरस्वती के जन्मदिनक सेहो प्रतीक थिकै, किया की ओ स्वयं कामरूपा छथि| जतय जीवन छैक, गति छैक, नाद छैक, ओतय सरस्वती छथि|

वेद में कहल गेल अछि-
ऐमम्बितमे, नदीतमे, देवी तमे सरस्वती
अप्रशस्ता, इव स्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि।।

हे मातृ शक्ति में श्रेष्ठ (अम्बितम), जीवन दायिनी प्रवाहिका में उत्तम (नदी में), देवियों में सर्वश्रेष्ठ (देवीतमे) सरस्वती हमरा सबहकजीवन के सब संकोच-अवरोध-अंधकार आ दुःखक बाधा के दूर कय हमरा सम्यक प्रकाश, ज्ञान आ समृद्धि प्रदान करी, जाहि सँ कि सर्जनक आनंदमय पथ पर हमर गति निर्बाध भ सकय|

अनुवाद : नीरज मिश्र मुन्नू
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