नैन प्यासल समुन्दर सुईख गेल,
जिनगी जिबके आश टुइट गेल !
हम कत आ कोनाक भटकली वाट,
चलैत चलैतमे डगर छुइट गेल !
बहुत समझैलो अपन मनके हम ,
मन मनलक नै कहैत चल गेल !
उ निर्मिहि छेल की हम छी अभागी,
पता नै किया नेहक सागर लुइट गेल !
कके इजोत हमरा जिनगी उ सारा,
राईत के अंहरियामे आहा छुइप गेलो!
लेखक :- प्रेमी रविन्द्र
जिनगी जिबके आश टुइट गेल !
हम कत आ कोनाक भटकली वाट,
चलैत चलैतमे डगर छुइट गेल !
बहुत समझैलो अपन मनके हम ,
मन मनलक नै कहैत चल गेल !
उ निर्मिहि छेल की हम छी अभागी,
पता नै किया नेहक सागर लुइट गेल !
कके इजोत हमरा जिनगी उ सारा,
राईत के अंहरियामे आहा छुइप गेलो!
लेखक :- प्रेमी रविन्द्र
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