कबिता

जीवन बित गेल रे भैया,भेल ने कहियाे भाेर,
छबि - सिरहा जिल्ला के आइलागली पीड़ित के अछि

✍👤अर्जुन पर्साद गुप्ता"दर्दिला"

जीवन बित गेल रे भैया,भेल ने कहियाे भाेर,
खुशी खाेजैत,खाेजैत बहि गेल,नयनसँ कतेक नाेर ।
----------------------------
विन बतासे उजरैत देखलाै,फुलल जे बाग छल,
बिन रापे दहकैत देखलाै,केहन अाे अागि छल,
विन अमावश अन्हार भऽगेल टह टह पुनमक इजाेर ।
------------------------------
जिनगीक बाट बहुत छाेट लगैय,चलब कतेक दुर,
हँसी दिलमे रती नहि हमरा,हँसि लैछी मजबुर,
लाेग केना हँसि लैछै जगमे,विचार बहै हिलकाेर ।
जीवन बितगेल रे भैया,भेल ने कहियाे भाेर,
खुशी खाेजैत,खाेजैत बहिगेल,नयनसँ कतेक नाेर ।

रचना :- अर्जुन पर्साद गुप्ता"दर्दिला"
लहान-१०
मिति ;- २०७४/०१/०४/२
कवि - अर्जुन पर्साद गुप्ता"दर्दिला" जी







💗💚💗💓💗💓💗💓
पोस्ट - अशोक कुमार सहनी
💗💓💗💜💗💜💗

0 टिप्पणियाँ Blogger 0 Facebook

 
अपन मिथिला © 2016.All Rights Reserved.

Founder: Ashok Kumar Sahani

Top