जँ सोनितमे मातृभूमी आ मातृभाषाप्रतिके कनियो सम्मान अछि त आबू सबगोटे मिलिक सप्पत खाइ ...
आबु मिलि सब सप्पत खाइछी [कविता ]
बड सहलौ नै सहब आब
बाप बाप नै कहब आब
चलु मिलि सब सप्पत खाइछी
अपन हकलाS लडब आब ।।
बड देखलियै घिनमा घिनमी
बड देखलौ रंगदारी यौ
हमरे बलपर संसद पौने
देखबे हमरे जिमदारी यौ ।।
सुन हौ बाबु सुन हौ भैया
कहुना बचबS मिथिला राज
चोर-उचक्का नेतासब छो
बचतो नै आब अपन समाज ।।
अपन बेटा घरमे सुतल
दोसर छै महामारीमे
नेता अपने चुस्की लैय
घरबाली गोरथारीमे ।।
सबके मनमे आस रहैछै
सगरो सदिखनि बाट जोहैछै
धरती काने अम्बर काने
तैयो ने ओकरा लाज लगैछै ।।
शर्मक पानि उठाकS पिने
बुझु जेना अपन मूत
दारु चिखना जखने भेटय
बाजत सबठाँ झुठ प झुठ ।।
मुद्दा छै बस एखनुक इहे
कोना बनत संबिधान यौ ?
राबनराज चारुदिस पसरल
भेटत कहिया अधिकार यौ ?
बिन्देश्वर ठाकुर
#अपन_मिथिला
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