कबिता

शुभ शुभ शुभ दिन आइ हे,
औती माँ लछ्मी!
अन-धन बरिषत आइ हे,
औती माँ लछ्मी!
शुभ शुभ शुभ............

चकमक घर आँगन सब चमकै
अनूप सुगन्ध दशोदिस गमकै-२
जगमग दीप जड़ाय हे,
औती माँ लछ्मी!
शुभ शुभ शुभ.............

फेरब ऊक करब हम सुमिरन
छी त' अबोध करब पर अर्चन-२
मन में आश लगाय हे,
औती माँ लछ्मी!
शुभ शुभ शुभ...............

महिमा हिनक सकल जग पसरल
गुण नहि कियो कतहु अछि बिसरल-२
निर्धन धनिक कहाय हे,
औती माँ लछ्मी!
शुभ शुभ शुभ.............

करब अबुझ मन एक निवेदन
वास करु धरती पर कण-कण-२
सब पर होऊ सहाय हे,
औती माँ लछ्मी!
शुभ शुभ शुभ.............

औती माँ ...........
अन-धन बरिषत.........
औती माँ...........

रचना - अमित पाठक

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