कबिता

रीतिरिवाज के नाम पर कीयाक ,
औरते के खाली दबाबल जाईय ?

पत्नी के मर्लापर जौँ पती ,
कैरी पाबैये दोसर विवाह !

त हमरा कियाक जिनगी भरके लेल,
उजरा सारीमे ओझराबल जाईये !

जौँ पत्नी मैरी जाइये कीनको,
त ओ भजाईये भगवानक मर्जी ,

त पती मर्लापर कियाक हमरा ,
डाईन,सैँखौकि कहींक सताबल जाईये ?

हमहू छी मानब हमरो अईछ ,
स्वतन्त्र भ जिनगी जीयके हक़ !

त हमर सब ईकक्षा आकांक्षा के कीयाक ,
अपने हाथे गला घोंटबाबल जाईये ?

हमरो अईछ मोन फेरोंस,
सुरु करके अपन जिनगी !

त अहा सब रोक कियाक लगाबैछि ,
कि विधवा नै फेरस बियाहल जाइये ?

राम शंकर दास
सिरहा नेपाल

#अपन_मिथिला

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