कबिता

"नव मिथिलाक निर्माण करैत चलु"

नेह सँ सनेह जोरैत चलु
धोती कुर्ता पाग लगबैत चलु
प्रेम भावक गीत गबैत चलु
दुनु हाथे ताली बजबैत चलु
नव मिथिलाक निर्माण करैत चलु

डेग सँ डेग मिलाबैत रहु
अपन भाषा सैदखन बोलैत रहु
भिन्सरे भिन्सरे प्राती गबैत चलु
अपन हरायल कालाके खोजैत चलु
नव मिथिलाक निर्माण करैत चलु

अपन सँस्कृतीपर सदैब बिसवाश करु
आन-आने रहत अपनापर गुमान करु
मरबे करब तऽ देशला मरु
आउ प्यारक हाथ अगाडि करु
नव मिथिलाक निर्माण करैत चलु

निक बोली सदैब बजैत रहु
सुन्दर व्यवहार सगरुप करैत चलु
मीत सऽ मित्रता बडबै चलु
मानसमान सबके सैदखन करैत रहु
नव मिथिलाक निर्माण करैत चलु

सोगारथ यादव
पुरन्दाहा-- धनुषा धाम

0 टिप्पणियाँ Blogger 0 Facebook

 
अपन मिथिला © 2016.All Rights Reserved.

Founder: Ashok Kumar Sahani

Top