कबिता


बिनु देखले संसार कोखेमें बेटी मरि रहल छै
दहेजक आगि में देखू मिथिला जरि रहल छै

अन्धकार में परल भटकल अछि ई समाज
बेटीके बुझै पैरक जूती आ बेटे छै माथक पाग
लुत्ती सँ पजरल आगि सगरो पसरि रहल छै
दहेजक आगि में देखु मिथिला जरि रहल छै

समाजक रित के देखु कहै बेटी अभागल छै
नासा केहन जे सदिखन बेटे लेल पागल छै
एहे कुरीति देख दुनया सँ बेटी डरि रहल छै
दहेजक आगि में देखु मिथिला जरि रहल छै

अशरफ़ राईन
सिनुरजोडा,धनुषा
हॉल :क़तार

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