
डेगे-डेग पर मिथिला विभित्र
मैथिलि बाजै में लाज लगै अछि
हाल एखन अछि बड़ विचित्र।
हरागेल गेल चक्की आ जांत
बेटी-पुतौहकऽ उघार अछि माथ
फैशन के चक्कर में परला
आब के कूटत उक्खैर-समांठ।
हरागेल बुजुर्गक मान-सम्मान
माय-बाबु के आदर-प्रणाम
गांम छोइर शहर में बसला
सुन अछि मिथिला के गांम।
हरागेल अछि पियर धोती
पुर्हित-पंडित पत्रा-पोथी
पूजा पाठ केना के होयत
के गांथत आब टुटल मोती।
हरागेल अछि मधुर सन बोली
धिया-पुता के आँखी-मिचोली
व्यस्त छैथ सब अपन काज में
के खेलत आब गांमक होली।
हरा गेल गांम-घरकऽ सिंगार
लुप्त भऽ रहल पोखैर-इनार
बचल-खुचल बैढ़ लऽ गेल
फऽसल नैईया बिचे मझदार।
हरा गेल अछि गामक किर्तन
कोनियाँ-मौनी, मैटक बर्तन
मिथिला के धरोहर अछि इ सभ
मून राखव इ बात अहाँ हरछन
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