श्री सोमनाथ कथा शिव पुराण मे एहि तरहे सँ वर्णित अछि :-
दक्ष प्रजापति केर ‘कन्या छलनि । हुनका सभक विवाह चन्द्रमाक संग कयने
छलथिन्ह । परन्तु चन्द्रमा मात्र रोहिणीक अलावा किनको सँ अनुराग व सम्मान
नहि करथिन्ह । एहि सँ क्रोधित भऽ प्रजापति दक्ष चन्द्रमा कें क्षय होयबाक
शाप दए देलथिन्ह । एहि सँ चन्द्रमाक कान्ति तत्काल क्षीण भऽ गेलनि । ओ अपन
श्राप सँ विमुक्ति हेबाक लेल ऋषि आओर देवता के संग कए ब्रह्मा जीक ओहिठाम
गेला । ब्रह्माजी शाप विमोचन के लेल प्रभास क्षेत्र मे जाए कऽ भगवान शिवक आराधना
करबा लेल कहलथिन्ह । ओ कठिन तपस्या करैत १० करोड़ मृत्युंजय मंत्रक सेहो
जाप कएलनि । एहि पर भगवान शिव प्रसन्न भऽ अमर रहबाक वरदान दए शाप सँ
मुक्ति होयबाक विषय मे कहलथिन :- जे अहाँ कृष्ण पक्ष मे एक-एक अंश क्षीण
होइत जाएत और शुक्ल पक्ष मे ओहि तरहें एक-एक अंश बढ़ैत पुर्णिमा कऽ पूर्ण
रूप प्राप्त होएत । आओर प्रजापति दक्षक वचनक रक्षा सेहो भए जेतनि । शाप सँ
मुक्ति भेलाक पश्चात् चन्द्रमा आओर सब देवता लोकनि भगवान शिव के माता
पार्वती कें साथ सभ प्राणीक उद्धारार्थ एतय रहबाक प्रार्थना कएलनि । भगवान
शिव प्रार्थना कें स्वीकार कऽ ज्योतिर्लिंग के रूप में माँ पार्वती के साथ
ओहि दिन सँ एतय रहय लगलाह ।

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