कबिता

सब परा गेल गाम घर स सुन्न परल अछि दालान यो स्वर्ग स सुन्दर जे मिथिला छल बनी गेल उजरल मचान यो
गेलें दुलरुआ बेटा तोहूँ परदेश , कोना बिसरी गेलें गाम रौ
कानईत तकई छि बेटा भरी दिन बटबा, एहिना ने छूटी जाय प्राण रौ
कोना बिसरी गेंलें गाम रौ ...........................

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पुछई ये बहिनी तोहर सदिखन हमरा , भैय्या नै अबई छथीन गाम रौ
कतई हरा गेल समां चकेबा, राखी भार्दुतिया बनी गेल आन रौ
कोना बिसरी गेंलें गाम रौ ............................................................
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बीती गेल दुर्गा पूजा छैठो दिवाली, करय के छई आब कन्यादान रौ
तों जा बसी गेलंय परदेश जा क, हमरा बना देलें आन रौ
कोना बिसरी गेंलें गाम रौ..........................................................
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हमरा बिसरी गेलें तई ले ने कानी, क जो ने धरती के प्रणाम रौ
बार पावनी छाई इ मिथिला के धरती, जतय बसई छाथीन भगवन रौ
कोना बिसरी गेलें गाम रो कोना बिसरी गेलें गाम रौउ
जय मिथिला जय मैथिलि जय मैथिल

आनंद कुमार झा

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