कबिता

~~~ गज़ल ~~~
कहिया तक जिबा हो भैया डरि डरि के !
किया तु जी रहल छा एना मरि मरि के !!
आदर सम्मान सब छीन लेलको तोहर !
बिहुसल आँखि तोहर कानि कानि के !!
सगठे अपमान सब करैत छो तोरा !
तखनो तू चुप छा साधू बनि बनि के !!
अप्पन मशीहाकऽ पहिचानि नै रहल छा !
जे लड़ि रहल छो अखनो हारि हारि के !!
अप्पन अधिकारकऽ लेल आवाज़ उठाबा तू !
कहिया तक रहबा तू चुप रहि रहि के !!
लेखक : सुजीत शाह ( एस के मैथिल )

0 टिप्पणियाँ Blogger 0 Facebook

 
अपन मिथिला © 2016.All Rights Reserved.

Founder: Ashok Kumar Sahani

Top