जगज्जननी सीता प्रति भक्ति-भाव
सीताक जीवन-चरित्र मानव समुदायकेँ जीवनमे समस्त सद्गुण संग त्याग आ विपत्तिक घडी सेहो धैर्यवान बनैत पूर्णतया अहिंसात्मक भावना एवं सहिष्णुताक व्यवहार करैत सर्वश्रेष्ठ मानव-आचरण केर अनुसरण करब अछि।
जे सीता देवी बाललीला करैत खेल-खेलमे शिव-धनुष उठा लेने छलीह, जे शिव-धनुष कदापि श्रीराम (साक्षात्) नारायण छोडि दोसर कियो हिला तक नहि सकलाह…. ततेक शक्तिशाली देवी रहितो स्वयं सीता कहियो कोनो भी चरित्र लीलामे हिंसात्मक नहि बनलीह अछि आ यैह बात लेल विद्वान् आ शास्त्रमत-पारंगत हिनकर चरित्रगान करैत दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती, गौरी, सती, सावित्री, अनसूया, मन्दोदरी आदि अनेको विलक्षण गुण सम्पन्न देवीरूप मे सीताकेँ सर्वश्रेष्ठ घोषणा करैत छथि।
सीताक बाललीला गान करैत जगत्गुरु रामभद्राचार्यजी महाराज हालहि अपन सुन्दर काव्य “श्रीसीतारामकेलिकौमुदी” प्रकाशित कयलनि अछि जे अत्यन्त पठनीय आ रस-रमणीय अछि।
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