कबिता


बिसहरि गीत
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गेली सातो बिसहरि गंगा रे स्नान
राम चलति चलति बिसहरि छूटय रे परान
रुकि जाऊ थम्हि जाऊ बिसहरि माई
राम पूजब चरन हम दूध लावा लाई
दूध दे गुअरवा भैया मलहा भाई मखान
राम पूजब सातो बिसहरि बरैबा दियह पान
हमरो सुहाग गेला देश रे विदेश
राम हरु सातो बहिनी पबनैतिन के कलेश
अमर सोहाग देब अमरे हे भाय
राम सदा रहब बिसहरि पबनैतिन पर सहाय


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