कबिता

हे भोला लेब कखन सुधि मोर
हर-हर बम बम कतेक जपब हम,
दुखक करु आब ओर..
हे भोला लेब..............
युग-युग सँ सोचल जल बोझब,
हुलसि चढ़ायब तोर
स'खहि कामोर ल'चलि देलौं,
मुदित मगन मन घोर
हे भोला लेब...........
विकट बाट कामोर बड़ भारी,
टूटए पोड़े-पोड़
देखइत कोना रहल जाइए शिव,
झर्-झर् आँखिक नोर
हे भोला लेब..............
कहब जाय ककरा सँ शंभु,
ककर पड़ब हम गोर
के आहां बिनु आन सहारा,
धरु कहु ककर पछोड़
हे भोला लेब...............
दुखक करु.................
अमित.

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