कबिता

गोर लगै छी मैया हे, पैर पड़ै छी मैया हे
बीच भँवर में आबि फँसल छी, पार उतारु नैया हे
गोर लगै छी ...................

ड'र लगइए देखि लहरिया सम्हरय ने पतवार माँ
उब-डुब नाव करइए देखु छैक विकट मझधार माँ
ध' पतवार हमर बनियौ माँ भव-सिन्धुक खेवैया हे
गोर लगै छी.....................

और कहब ककरा सँ अम्बे हेतै आन सहाय के
एहन पड़ल संकट हे जननी करतै हमर उपाय के
के पतियौतै अहाँ छोड़ि माँ सिर पर पड़ल बलैया हे
गोर लगै छी....................

मोह जँ हो कनिको बेटा पर झट माँ आबि बचाबु
बेकल भेल हम बाट तकै छी दगधल मोन जुड़ाबु
क्षण-क्षण बितए पहाड़ जेकां माँ मारुक भेल समैया हे
गोर लगै छी......................
बीच भँवर में......................
अमित जी
जय माता दी

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