कबिता

◇◇◀ ◀ ◀गीत▶ ▶ ▶◇◇
निर्मोही अहाँके यादमे,आखिँक नोर पीब रहल छी
नै पुछु हमरा,अहाँ विना, कोना हम जीब रहल छी॥

नेह भरल प्रेमक नाता,एकपलमे तोडि अहाँ
कहु कतऽ गेलौ, हमरा असगर छोडि अहाँ॥
पागल वनि गलि-गलिमे,बर्षो सँ खोजि रहल छी
निर्मोही अहाँके यादमे...

किछ नै सुझाइय हमरा,लगैय अन्हार यै
जानि ने पायब कहिया,अहाँके दुलार यै॥
तडपैत इ मोनक बोली,किए ने सुनि रहल छी
निर्मोही अहाँके यादमे...

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© स्वर-तेजु मैथिल
© गीत-विद्यानन्द वेदर्दी

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