छठि माइ के महिमा अपार,
जगत में के ने जानइए
सबहक भरथि भंडार,
जगत में के ने जानइए
छठि माइ के...............
बांझिन के पूत देल कोढ़िन के काया
छोट-पैघ ऊँच-नीच सब लेल छाया
सब लए फुजल दरबार,
जगत में के ने जानइए
छठि माइ के...............
निर्धन के ध'न देल निर्मम के ममता
मैया के किरपा सँ केकरो ने खगता
भेल सब सपना सकार,
जगत में के ने जानइए
छठि माइ के................
माइ परमेशरी बलाय-रोग हरती
दूरहि दरिद्रा आ पूर आश करती
संकट सँ करती उबाड़,
जगत में के ने जानइए
छठि माइ के................
आऊ हिलि-मिलि करी पाबनि छठि के
घूरि क' ने आबए बलैया पलटि के
माइ देती आशिष हजार,
जगत में के ने जानइए
छठि माइ के................
सबहक भरथि............
अमित पाठक
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