कबिता

आशीषक आकांक्षाक संग दु पंक्ति :
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कोनो गहना छएं तुँ, हमर अंगना के तुँ
तोरा लए सब निछावर दुलार बुचिया
ल' ले-ल' ले गे आशिष हजार बुचिया
ल' ले-ल' ले गे.............

एलएं जहिया हँसल सुन्न घ'र आ दुआरि
देलनि चान जेना विधना हमर घर उतारि
छएं तुँ हमरा लए कोनो उपहार बुचिया
ल' ले-ल' ले गे...........

तोहर चहकब चिड़ैं सन लगइए अनूप
लागएं अनमन देखै में तुँ लछ्मी सरूप
बसए तोरहि में हमर संसार बुचिया
ल' ले-ल' ले गे............

तोहर रूसब-मनायब एखक टा अमोल
कतौ भेटए ने सूगा सन मीठ एहन बोल
बिना तोरा मड़ैया अन्हार बुचिया
ल' ले-ल' ले गे...............

नजरि लागउ ने तोरा कहब राम के
तोरा लए बेचि देबई अपन चाम के
हमर उपवन के छएं तुँ श्रृंगार बुचिया
ल' ले-ल' ले गे...............
कोनो गहना छएं...........
अमित.

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