आन्दोलनके क्रममे बिसाल जुलुश के अगा-अगा एगो ३५ बर्शक प पुरुश कहैत छ््लाह
"मधेश के पहिचान ?" जुलुश स आबाज आबे," कायेम करु ,कायेम करु" एहने नरा लागैत सङ जुलुश अगा बढैत गेल ।लोग कम बेश होइत गेल ।दुर खरा किछ पुलिश लोकैन धिरे धिरे जुलुश दिश बढैत आब लागल । जुलुश मे किछ लोकैन के ओना भये त लागल मुदा किछ लोकैन हिम्म्त साहस स बढैत गेल अगा दिश । जब बहुत निकट पुलिश आ आन्दोलन कारि आमने सामने परल त दुनु दिशक लोकैन ठ्मैक गेल ।नरा जोर सोर स होम लागल ।
ताहि क्र्म मे एगो पुलिस कहल खिन "रुक रुक नै त गोलि मारिदेब्औ " जोश मे होश हेरा क १८ वा २० बर्श क युवा सड्क स एगो पाथर उठाक फेक देलैन पुलिश के तरफ । यौ बाबु भगेल खिहटा-खिहटि । देख्ते देख्ते बन्दुक क आवाज अकाश स सुनाइ लागल । लोग धा ए धाऐ गिर लागल । भुट्ना ओहि दिन आन्दोलन मे गेल रहै । मोक्तार भुट्ना दुनु गोरे परोसिया रहे ।ज मोक्तार साम मे घर पहुचल त रेडियो बजैत रहे चौक प आ भुट्ना सहिद रहे भगेल । जे भुट्ना के परसु भने फ्लाइट रहे कतार भिशा मे । आ दुगोर बहिन के बिबाह कर्बाक सपना ओहि दिन रोबैत रहे भुट्ना के दुहाइर प ।
लेखक :- अब्दुर रज्जाक
(हाल कतार्)
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