जाहि माटि में जन्म तोहर छौ
ओहि में एक दिन जेमै समा
बौआ रे संकट क्षण बुझही
समय नै एहिना व्यर्थ गमा ।। १ ।।
तोहर जीवनक रास तेरे लग
त्यागै आब तू आनक आसा
बितैत समय केर तर्क तू करही
बुझतौ नै क्यो प्रेमक भाषा ।। २ ।।
अपनहिं साढे सात हाथ बन
एना नै जीवन हीन करै
बाट तू दोसरक ताकब छोड़ै
दम अपनहिं सॅं उत्तीर्ण करै ।। ३ ।।
तोरो भीतर गुण छौ एकटा
ओकरा भीतर सॅं ताकि जगा
नीक करैत सॅंग आगू बढि जो
डर आ संशय दूर भगा ।।४।।
तू छैं अपन जीवनक मालिक
लाभ-हानि तू अपनहिं बूझ
दृढ निश्चय आ नव उर्जा संग
एक बेर माया केर डोरी सॅं खूज ।। ५ ।।
मनीष झा जी
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