बात-बात पर गैर सुनै छी मैर पड़इए बेलना के
कनियां हम्मर ढूइस लड़इए दिन बितइए केहुना के
बात-बात पर..............
सांझ-भोर फजहैत करइए बिन बातहु बघुआइत रहए
रातुक खिस्सा कथी सुनाबु कहितहुँ सबके लाज लगए
ठाठ सँ सूतए मांझ पलंग आ हम जाँतै छी ठेहुना के
बात-बात पर.............
श'ख जे छल सुन्नरि कनियां के दैव ओ पूर जरूर केलनि
आन-और जे छलए सेहंता से सब चूड़म-चूड़ केलनि
भोगि रहल छी अपनहि अरजल दोख देबै की विधना के
बात-बात पर...............
व्याहक लेल जते छल धड़फड़ ततबहि आब झखइए मोन
ड'रे दोग धेने र'है छी घ'र लगइए भुतहा बोन
मुँह फुजत जँ गलतीयो सँ लाल करत रंग थुथना के
बात-बात पर.............
कनियां हम्मर...........
अमित पाठक
#अपन_मिथिला
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