कबिता

आइ साजन के हमर अवइया गे दैया हम लाजे गलै छी
पलटि आयल सुखक समइया गे दैया हम लाजे गलै छी
आइ साजन के..............

अंतर्मन पुलकित अति मोरा
लाज बसय पर तन चहुँ ओरा
धाख हमरा लए भेल बलइया गे दैया हम लाजे गलै छी
आइ साजन के.............

दिवस कतेकहु विरह गमायल
आएल शरद् पुनि पी'हेरि लायल
नोति गेल आबि पवन पुरवइया गे दैया हम लाजे गलै छी
आइ साजन के...............

छमकि उठल पायल पुनि छम-छम
माथक बिंदिया चमकल चम-चम
खनकि बाजल कंगन कलइया गे दैया हम लाजे गलै छी
आइ साजन के.............

जायब कोना निकट प्रियतम के
छै पहरा बड़ पैघ शरम के
कोना सांझहि ठोकब बिलइया गे दैया हम लाजे गलै छी
आइ साजन के.. .. ... ...
पलटि आयल...............

अमित पाठक

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