कबिता

" मिथिला नारी के लाचार जुईन बुझू "

नोरायल ऊ नयन कऽ लाचार जुईन बुझू ,
मिथिला के नारी देवी स्वरूपा
संस्कार सँ सदिखन भरल छथिन,
हुनका कखनो अहाँ वे-विचार जुईन बुझू।।

सभ्यता, शिष्टता आ शालीनता सँ ओ लड़त,
संघर्ष मे त ओ जि-जान स टुईट पड़त।
सीता ऽक चुपचाप वनवास चलि गेला सँ,
छै याह मिथिलाऽक व्यवहार जुईन बुझू।।

चुल्हे में सबदिन ओ जिनगी बितेतै
अहाँ कहवै त अग्निपरिक्षो ओ देतै
हरबेर हर कलङ्क ओहिना सही लेत,
आ नै करत कखनो प्रतिकार जुईन बुझू।।

सब शक्ति स जुटल छथिन
एकता स नै टुटल छथिन
सबटा हक हजम कैर
अहाँ लऽ पेवै य ढकार जुईन बुझू

हर गुण कला सँ आगर अछि
हिनको बाईँह मे जाँगर अछि
मुँहतोड़ जवाब ई देत सगरो
चलत हिनका पर अहाँ के फटकार जुईन बुझू

दुईगो मिठ बोल कही देला सँ
की चाईर गो दलाले गाम में पठेला स
माईन लेत अहाँ के वात
नहीं देवे पड़त अधिकार जुईन बुझू।

                        ~  दिपेन्द्र यादव मैथिल
                       

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