कबिता

" ओकर फूल काँट छलै
हमरा आगु जायतके फाँट छलै  "

दुनियाँ प्रेम दिवस मनबै
मुदा हमर मन कनै

हम प्रेम दिवसके बिरोधी नै छी !

हम त दहेजके मारल छी
जायत पायतके सतावल छी

कोनो न कोनो एहि तरह ,
मारल गेल छलै ओहो तंन ,
मुदा ऊ मरि गेलै !

हमर त नै अन्ते भऽ सकल
नै साथ निभयबे सकलौं
कियाक तऽ
हम दहेजके रीत मे बाँधल छली
जायत पायतके रिस्तामे छुटयावल छली

कठिनाय अहु दिलके आगु आयल छलै !
मुदा ऊ  निभा लेलकै !

हमरा रस्तामे  फूलोमे नै काँट छल
जै पऽ हम चैल लिती
हमरा अगाडि त दहेजके जेल छल
जैमे हम कैदी कैद भगेली
हमरा माथ प' जाईतके नाम लिखायल छ्ल
जैमे हम लेपटा गेली
हम दहेजके चपेटामे प्रेमो के भुला गेली

सोगारथ यादव
पुरन्दाहा---- धनुषा  धाम

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