कबिता

दहेजक आगि छै सगरो लागल
तें त' बेटी बनलीह अभागलि

ठीके जमाना भैया पुरुष परधान यौ,
बेटी लए गढलक अलगे विधान यौ.
टीसे स' धीयाके जिनगी छै तागल
तें त' बेटी बनलीह अभागलि.

आजुक दशरथ बेचथि राम यौ
सीता लेल एखनो बिधने बाम यौ
दहेजक चंगेरा छै घ'रे-घ'र साजल.
तें त' बेटी. . . . .

दहेजक आगिमे जड़ि गेल चिड़ैया
लोके कसैया तें मरि गेल चिड़ैया
सभ छै खोंता उजारहे पर लागल.
तें त' बेटी. . . . . .

© Akshay Anand Sunny

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