कबिता

( मैथिली गीत--- मानवताके चिन्हैबै)

मनमे जे छुपल भेद अछी,निकालके नै सरमैबैं....
अछोप कहै छै दुनिया, हम मनवताके चिन्हैबै....

भले जरै ई दुनिया,भगवानके मनमे बसैबै
चल नै दै बाट घाट ,अंगनमे ईनार खनैबै.....
मेहन्त करबै पसिना सैदखन,अहिना बेचैत रहबै...
अछोप कहै छै दुनिया, हम मनवताके चिन्हैबै....

दलानमे जे नै बैठ पैबैं ,पिपल छैंयाँ ठंडैबैं
दुनिया जे नै पुछतै,हम अपनने मे रमैबै....
उरैत कागके पुछबै जात,ओकरा संगे उरिजैबै.....
अछोप कहैछै दुनिया,हम मनवताके चिन्हैबै.....

कोना नै छुटियैतै जात,माटिके जे फटै
खुनक रंगमे जौ भेद अछी,किय उ मिठगर लडु चटै.....
हम जे छि नदिके पानी,एक दिन अमृत भक देखैबै......
अछोप कहै छै दुनिया,हम मनवताके चिन्हबै....

मनमे जे छुपल भेद अछी,निकालके नै सरमैबै...
अछोप कहै छै दुनिया,हम मानवताके चिन्हैबै....

सोगारथ यादव

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