कबिता

मिथिलाक केलक बश्व बखान
पावोल तीनू लोक में सम्मान ।
एतय भेलैथ कतेकौं बीर सन्तान
सल्हेश, दिना-भद्री, लोरिक महान
कविकोकिल विद्यापतिक गान
सुनैत देखलौ कोइलिक कान
गार्गी , मैत्रयी ,जानकी,भारती,
नारी के दिएलैन बिस्व भरीमें स्थान
शंकराचार्य आ बचस्पति में भेल घमासान
सब पेलैन ओहि स वेदक ज्ञान।
भाईचारा संग सब बैसैत एकै ठाम
भेद नै करै छैथ कियो अपन आन
सोलकन छैथ या छैथ कियो बाभन
अध्यात्म पथिक हिन्दू मुसलमान
पढ़ैत पवित्र ग्रन्थ बेद - कुरान
सब छैथ एत एक सम्मान
मिथिला चित्र कला देखि
सगर बिश्व भेल हैरान
ताहीं बिश्व करय मिथिलाक गुणगान
करैत नहीं थाकैन किनको जुबान।
ओहि मिथिलाक हम छि संतान
कल जोड़ी करैत छि सब के प्रणाम।
जय मिथिला ! जय मैथिली !!

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