कबिता

मुसकी ठोरके देहक प्राण छै बेटी ।
बेटे सन तऽ संतान छै बेटी।।
छै करेजके टुकड़ी नञि आन छै बेटी ।
बेटे सन ---------

जँ फूल सन फुलाइत रहै छै,
दृढतामे तऽ पाषाण छै बेटी ।

रावण हरि लेतै से छऽल नञि तागत,
बस रामके रखने मान छै बेटी ।

महिखासूरके जे मारि सकैए,
बूझियौने तन्नुक पात पान छै बेटी ।

मैथिल प्रशांत

0 टिप्पणियाँ Blogger 0 Facebook

 
अपन मिथिला © 2016.All Rights Reserved.

Founder: Ashok Kumar Sahani

Top