<===मैथिलि गजल===>
किछु कहला अहाँसँ कतेेक दिन भेलै
किछु सुनला अहाँसँ कतेक दिन भेलै
किछु सुनला अहाँसँ कतेक दिन भेलै
समय ठहरि गेलै घड़ीक सुईयाँ जकाँ
अहाँके रुसला हमरासँ जतेक दिन भेलै
अहाँके रुसला हमरासँ जतेक दिन भेलै
बारि देने छी जेना कि भतबरी होई
अहाँके बजला हमरासँ कतेक दिन भेलै
अहाँके बजला हमरासँ कतेक दिन भेलै
जान आफतमें हम्मर अटकि गेल छै
चुप रहला अहाँके कतेक दिन भेलै
चुप रहला अहाँके कतेक दिन भेलै
घटाटोप अन्हरिया छै पसरल केहन
चान निकलला नै जानि कतेक दिन भेलै
चान निकलला नै जानि कतेक दिन भेलै
हर घडी हरेक पल हम करी इंतज़ार
चिट्ठी लिखला अहाँके कतेक दिन भेलै
चिट्ठी लिखला अहाँके कतेक दिन भेलै
किछु कहला अहाँसँ कतेेक दिन भेलै
किछु सुनला अहाँसँ कतेक दिन भेलै...!
किछु सुनला अहाँसँ कतेक दिन भेलै...!
_____अशोक कुमार सहनी
✔ @[480690508763222:]
#अपन_मिथिला
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