कबिता

हमर रोम-रोम तरसय देख यौवन जिनकर।।
यsय चाँद जुनि याद दियाव रूप हुनकर।।

हम माइन गेलौं वो खूश हसी परी छय ।
मुदा वो हो त किनको लागि बनल छय ।
हम बिशरल नय छी रूप हूनकर ।।

हमर रोम-रोम तरसय देख यौवन जिनकर ।
यsय चाँद जुनि याद दियाव रूप हुनकर।।

जं ओ अहाँ के आगू येsत ।
हूनका देख अहुं शारमा जेsब ।
चकोर सेहो दिवाना छय हूनकर ।।
हमर रोम-रोम तरसय देख यौवन जिनकर।
यsय चाँद जुनि याद दियाव रूप हुनकर।।

लेखक :- सत्या यादव (सरोज)

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