कबिता

जिनगी भरि पाप आ मरलाक' बाद चन्दन खोजै छी
अप्पन देशमें गुजरे नैऽ आ सपनामे लन्दन खोजै छी

सूरत देखि अहाँके एकमिसिया मुस्किया कि देलौ हम
अहाँ हाथ ध' पाछू पडि हमरे संग व्रत बन्धन खोजै छी

अप्पन औकाते पर सिमित रहूं नै देखू अते पैघ सपना
एतऽ चूड़ी लेल छै आफत अहाँ हाथमे कंगन खोजै छी

ई संघर्ष आ मेहनति सब ब्यर्थ भऽ जाएत अहाँ केर
जऽ फुटल ढोल,टुटल साजमें आवाज टन टन खोजै छी

धरती पर चलबाक सेऽ तऽ कोनो ढंग नै अछि 'अशरफ़'
आ बिनु पाईखे केर आहाँ उडबाक लेल गगन खोजै छी

®अशरफ़ राईन
धनुषा ,सिनुरजोडा
हाँल : कतार

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