कबिता

जारहल छि हम कैलाश, भोला के बोलाब,
बैईढ़ रहल छै धरती पर पाप भोला के बताब।

अहूँ चलवै साथ त' हिमत बैईढ़ जेतैय
रस्ता सेहो निक जेका कैट जेतैय
बैईढ़ जेतैय ताकत चलु साथ मिलाके
जारहल छि हम ......

काँवरिया रहतै साथ त भोला खुसी भ'जेतैय
अगर गवाह रहतै साथ त फैसला जल्दी भ'जेतैय
संग ल'लिय कनिक आँसू चरणों में चढ़ाबैल'
जारहल छि हम .....

बहुत भोला छै हमर भोला सुनतै बात ध्यान सँ
कष्ट सब दूर करतै तीसरे नयनके मार सँ
चलै चलूँ सब मिलक' भोला के दरवार सर झुकबैले
जारहल छि हम ....

__.✍अशोक कुमार सहनी
लहान ४ रघुनाथपुर
हॉल ( दोहा क़तार )

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