कबिता

.................. गजल ...............

सुतलामे  देखलौं , आई  ऐहन  सपना
राखीं  लेने बहीन , ठाड छलै अंगना

निपल  पोतल  छलै , घर आअसोरा
पिढिया पऽ गढल छलै,पिठारक छपना

काग  कुचरैत  छलै , आश  बढैत  छलै
बाट  जोहैत छलै,  दुरुखी पऽ बहना

हमहुँ बैठी गेलियै ओ पिढिया पऽ जा'क
लडु   खुवा  बहीन  कर लगलै  बंदना

हाथ जौं बढाबए ला कैलियै , राखीं दिस
खुली  गेलै निन्द आ,  बह  लगलै  नयना

धनेश्वर ठाकुर धनुषा धाम --4
लक्ष्मीपुर हाल मरूभुमि
देश दोहा कतार

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