कबिता

आपने चन्दक टुक्रा भके कोना छोइड जाइ छै ।
बिजुली जेहेन आइख चम्काक कोना हरा जाइ छै ।।

केकरा कहि हमर मोनके बात "कवि" मित्र सब ,
जखन तखन हमर नयन स नोर बहि जाइ छै ।।

कोना करि कोना रहि राइतमे निन्दो नै आबै छै ।
उकुसमुकुस करैत करैत राइत सङ भोर भ जाइ छै ।।

कतेक दुर चैल गेल वो हमर आइखोनै सुझै छै ।
ओकरा बिनु हमर करेजा किय फाटल जाइ छै ।।

सियब कोना आपन करेजा दिल चोराक लगेल छै ।
ओकरे आसमे बैठल बैठल दिन बित कोना जाइ छै ।।

ढकिया भैर दु:ख पिडा सुन्लो नै हमरा जाइ छै ।
तहिस फेरो स आपन सरण मे रखी लै छै ।।

✍बिनोद मेहता,
भोक्राहा सुनसरी
हाल -: बिराटनगर मोरङ

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