गुलबदन गुलनार अहाँ
छी ताजा कचनार अहाँ।
नैन अहाँ के तेज कटार
करी हिया के पार अहाँ।
ठोर गुलाबी अनुपम गात
चानक छी अवतार अहाँ।
छवि मनोरम स्वर्ग परी
सुन्दर सुमुख रतनार अहाँ।
धुप सुहनगर सर्दी मासक
छी पतझड़ में बहार अहाँ।
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✍राजीव कर्ण।
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