कबिता

कऽतऽ चलि गेलौ कराकऽ यकीन जिनगी में !!

✍👤राजदेव राज

किनको नै होइत अछि कफ़न रंगीन जिनगी में ,
हमर अप्पन कहै छी किया ज़मीन जिनगी में !!

घेरा घेरकऽ प्रेमके पाथर बनौलकऽ हृदय ,
फेर सोचैछी किछु करब हम अधीन जिनगी में !!

प्रेम हमर पवित्र अछि देब नै कहियो धोका ,
कऽतऽ चलि गेलौ कराकऽ यकीन जिनगी में !!

दुनियाँ अछि धूर्त ई पीठ घोपैय नुकाकऽ ,
अपने-आप सँऽ बचबाकऽ लेल कठीन अछि जिनगी में !!

कि करत हमरा ई धामका रहल अछि राजदेव के ,
प्रेमकऽ युद्ध जीत लेलकऽ नवीन जिनगी में !!

लेखक : राजदेव राज  




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