कबिता

राम कशम हमर दिल से निकलै प्राण .. गीत



✍👤सरोज मण्डल 

किय खनका बि,आहाँ कगना,
किय छन्काबी आहाँ चुरी।
किय देछी आहाँ चोवानिया मुस्कान।
राम कशम, हमर दिल से निकलै प्राण।।

देखते रुप आहाँक फेस गेलु प्यार मे ।
आहाँ सन नै किय दुनियाँ संसार मे।।
मन मन्दिर मे बेसलो आहाँ बेन भगवान ।।
राम कशम, हमर दिल से निकलै प्राण।।


जखने बाजै आहाँक पैर मे पायल।
दिल हमर सजनी भ जायय पागल।
रुप ला गे आहाँक इजोरिया समान।
राम कशम, हमर दिल से निकलै प्राण।।

असगर सरोज क जिङी लागे सुना सुना।
अन्जान प्रेम मे भेलो दिवाना।।
बैन एलप्रेम मे हमर ओ चान।
राम कशम, हमर दिल से निकलै प्राण।।

किय खनकाबी आहाँ कगना ,
किय छन्काबी आहाँ चुरी ।
किय देछि आहाँ चोवानिया मुस्कान।
राम कसम, हमर दिल सँ निकले प्राण।।

✍👤सरोज मण्डल
इनरुवा सुन्सरी, नेपाल
 कवि , RJ - सरोज मण्डल जी

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