कबिता

भोट मांग' धरि नेता लेल जनता भगवान छै

..✍👤विन्देश्वर ठाकुर 


लोकक आचरण सँ जगमे मोन दुखा जाइछै
दर्द कुहकैछै भीतर मुदा नोर सुखा जाइछै

घाउ टभकै छै मीता पकोई धैलहा अंगमे
बहब' बेर अपन आ आन नुका जाइछै

देह धुनैछै मरनी मलिकबा लग राति दिन
बाट अबितेधरि देखियौ रोटी लुटा जाइछै

भोट मांग' धरि नेता लेल जनता भगवान छै
संसद पहुँचते सब कष्ट भुला जाइछै

'विन्दु' सपनेमे बनबैछै सपनाक पचतल्ला 
आँखि खुजिते पचतल्ला बिला जाइछै

✍👤विन्देश्वर ठाकुर
कवि - विन्देश्वर ठाकुर जी

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