अहाँ जे भिन भेलौं दुख सैह नैं सकलौं
✍👤 विजय कुमार ठाकुर
दोख हमरे जे अहाँके कैह नैं सकलौं
दौड़ि दुनु गोर अहाँके गैह नैं सकलौं
हम सौंसे भुवन में सबके हरा एलौ
मुदा हारि गेलौं घरे में लैह नैं सकलौं
अहाँक काठी बिनु कोना क विलीन हेबै
चेरा के रहितो ठीक सऽ डैह नैं सकलौं
शव जकाँ अकैर कऽ रहलौ आजीवन
तन्नुक समन्ध के आगा तैह नैं सकलौं
साँस त चलैए मुदा कहाँ हम जिन्दा छी
अहाँ जे भिन भेलौं दुख सैह नैं सकलौं
✍👤 विजय कुमार ठाकुर
✍👤 विजय कुमार ठाकुर
दोख हमरे जे अहाँके कैह नैं सकलौं
दौड़ि दुनु गोर अहाँके गैह नैं सकलौं
हम सौंसे भुवन में सबके हरा एलौ
मुदा हारि गेलौं घरे में लैह नैं सकलौं
अहाँक काठी बिनु कोना क विलीन हेबै
चेरा के रहितो ठीक सऽ डैह नैं सकलौं
शव जकाँ अकैर कऽ रहलौ आजीवन
तन्नुक समन्ध के आगा तैह नैं सकलौं
साँस त चलैए मुदा कहाँ हम जिन्दा छी
अहाँ जे भिन भेलौं दुख सैह नैं सकलौं
✍👤 विजय कुमार ठाकुर
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कवि - विजय कुमार ठाकुर जी |
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