कबिता

निर्जला एकादशी -

साल भरिक सब एकादशी में निर्जला एकादशी बड्ड महत्त्वपूर्ण मानल जाईत छैक। पद्म पुराणक अनुसार ज्येष्ठ मासक शुक्ल पक्ष केर एकादशी के निर्जला एकादशी कहल जाईत अछि। एकरा 'पांडव एकादशी' केर नाम सँ सेहो जानल जाईत छैक। अहि व्रत में बिना जल पीने उपास कएल जाईत छैक।

निर्जला एकादशी व्रत अहि बर्ष ०५ जून अर्थात आई मनाओल जायत।

निर्जला एकादशी व्रत विधि

निर्जला एकादशी व्रत केनिहार के एक दिन पहिने यानि दशमी के दिन सँ नियमक पालन करबाक चाही। एकादशी के दिन "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्रक जाप करबाक चाही। निर्जला एकादशी के दिन गोदानक विशेष महत्त्व छैक। निर्जला एकादशी के दिन दान-पुण्य आ गंगा स्नानक से विशेष महत्त्व होईत छैक ।

द्वादशी के दिन तुलसी के पात आदि सँ भगवान विष्णु केर पूजा करबाक चाही। पूजा- पाठक पश्चात ब्राह्मण के भोजन करा दक्षिणा दय विदा करबाक चाही। अंत में भगवान विष्णु आ कृष्णक स्मरण करैत  स्वयं भोजन ग्रहण करबाक चाही

निर्जला एकादशी व्रतक महत्त्व

पद्म पुराणक अनुसार ज्येष्ठ मासक शुक्ल एकादशी के  निर्जला एकादशी के दिन व्रत कएला सँ सभ तीर्थों में स्नान करबाक समान पुण्यक प्राप्ति होइत छैक। अहि दिन जे व्यक्ति दान करैत अछि ओ सभ पापक नाश करैत परमपद के प्राप्त करैत अछि। आजुक दिन अन्न, वस्त्र, जौ, गाय, जल, छाता, आदिक दान करब शुभ मानल जाईत छैक।

साभार - संस्कार मिथिला- मिथिलाक संस्कार पेज से

0 टिप्पणियाँ Blogger 0 Facebook

 
अपन मिथिला © 2016.All Rights Reserved.

Founder: Ashok Kumar Sahani

Top