कबिता


प्रवासी मैथिल आ खेती 

अशोक ठाकुर
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      पहिलका जमाना मे मिथिला मे अधिकांश लोक खेती पर निर्भर छलाह ,खेती जीविकाक प्रमुख साधन छल आ खेती खुब मोन लगाकs करितो जाय छलाह ,चिक्कन उपजा होइत छल, घरक सब काज अनाजे सं पुरा होइत छल ! संयुक्त परिवार रहैक तँई अधिक जमीन आ खेतक पैघ-पैघ कोला ! हर-बरद सं लs के खेतीक सब साधन उपलब्ध ,जन-मजदुरक कमी नहि ,खाली पानि लेल बरखा पर निर्भर !
         जं-जं शिक्षाक विकास भेल ,लोक नौकरी आ व्यवसाय लेल शहर के तरफ रूख करैत जाय गेलाह ! धीरे-धीरे संयुक्त परिवारक अवधारणा सेहो खतम भेल ,खेत टुकड़ा-टुकड़ा मे बँटल, जतय पहिने पाँच,दस,बीस आ पचास-सय बीघाक चास रहैत छल ओतय दस कट्ठा आ एक बीघा वला कोला भेटब मोसकिल ,  सब टा टुकड़ा-कट्ठा ,दु कट्ठा आ चारि कट्ठा वला , अहि लेल जनसंख्या मे वृद्धिक सेहो योगदान ,लोक बटाई पर खेती कराबय लगलाह ! जखन देयादो सब बेइमान भs जाय गेलाह त बटाईदार के बारे मे त पुछु नय ! तईयो पहिलका बटाईदार सब इमानदार छल ,बाँटि के अधहा अन्न-पानि दs दैत छलैन्ह ,आबक बटाईदार सब बेइमान भs जाय गेलाह अछि , जं उपजाक समय पर पहुँचब त चारि-आना ,छ:-आना उपज भेटियो जायत अन्यथा ओहो नहि आ कहताह , " अहि बेर कहां भेलै केकरो उपजा-वारि मालिक ,रौदी भs गेलैक त बाढ़ि आबि गेलैक ,खेत सब टा पड़ले रहि गेलैक , बिरार नहि भेटल ,बीया ठैक लेलक , हम्मर मेहनत आ बीया सेहो दण्डे !" ओनाहु बटाई वला खेत अन्तहि मे जोतताह आ बुनताह ,खाद-पानिक त सवाले नहि ,केयैक त खेत छिन्न जयबाक सदिखन डर मोन मे ! अर्थात खेती बेगाड़ जकाँ ,राष्ट्रीय-क्षति ,ओना ओहो बटाईदार आब भेटब मोसकिल ! गाम मे रोजगारक अभाव मे जन-मजदुरक प्लायन भेल गेल ! ओना ,आब गाम-घर मे  अपने सं खेती करौनिहार बड्ड कम्मे लोक ,हुनको जन-मजदुरक भारी समस्या !


         ओना त अधिकांश लोक के अतबो खेत नहि छैन्ह जे ओकरा उपज सं सुदुर शहर मे बसल मैथिल के कम सं कम रोपनी आ कटनी के समय देखभाल लेल आवाजाहीक भाड़ा निकलि सकैन !
        अहन परिस्थिति मे प्रवासी मैथिलक सामने पैत्रिक सम्पति के रूप मे प्राप्त खेत के की कयल जाय ,एक जटिल समस्या बनि रहि गेलैन्ह अछि , बेचौ चाहताह त गाम मे केयो लेबाल नहि , जं केयो थोड़-बहुत लेबौ चाहतैन त औने-पौने दाम मे , दानो करय चाहताह त ओहि लेल गाम मे पात्र नहि भेटतैन्ह ! अपने त केहुना साल मे एकाध बेर कोनो काज-प्रयोजन मे गाम जाइतो छथि , मुदा हुनक धिया-पुता भविष्य मे गाम जयतैन्ह की नहि ,ईहो बड्ड पैघ समस्या छैन्ह ,केयैक त प्रवासी मैथिल अधिकांशत: जतय नौकरी वा व्यवसाय मे रहलाह ओत्तहि कम सं कम एक टा आशियाना ठार्ह अवश्य कs लेलाह अछि आ धियो-पुता पढ़ाई/नौकरी/व्यवसाय लेल बाहरे रहय लेल मजबुर छैन्ह ! 
       आब ,अहीं सब अहि समस्याक केना समाधान हएत से बताबु !
साभार - अशोक ठाकुर

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