कबिता

💐 जीनगी में कमी 💐

..✍👤@'अशोक कुमार सहनी

एकटा गाम में बहुत दिन से एकटा बरका घर बनै के काम चलै छेल।
ओत सब दिन जनसब  (लेबर ) के छोटका बच्चा सब एक दोसर के शर्ट पकैर के रेल-रेल के खेल खेलै छेल ।

सबदीन कोई इंजिन बनै छेल तs और बाकी बच्चा सब डिब्बा..

इंजिन और डिब्बा वाला बच्चा सब सबदिन बदैल जय छैल
मुदा,...
एकटा पैण्ट पहेने छोटका बच्चा हाथ में ललका कपरा घुमाबैत गार्ड बनै छेल ।

ओकरा सब के सबदीन देखैबला एकटा आदमी बहुत ही भाव सs गार्ड बनैबला बच्चा के बोलाक़े पुछलक,

"बौवा, तु सबदिन गार्ड बनै छी तोरा कहियो  इंजिन, कहियो डिब्बा बनै के मोन नै  होइ छौ.?"

ई सुइनके उ बच्चा कहलक...

"काका हो, हमरा पेनहैय के लेल कोनो शर्ट नै छै । तs हमरा से पछारी  वला बच्चा हमरा केना के पकड़तै.? और हमरा पाछु के ठार रहतै.?

एहिलेल हम सबदिन गार्ड  बैन के ई खेल में अपन भाग लैय छी ।

"ई कहैत समय हमरा ओकर आँखि मे नोर  भरल दिखाई देलक"

आय उ बच्चा हमरा जीनगी के एकटा बडका पाठ पढ़ाके गेल...!!

अपन जीवनमें कहियो नै भरपूर होइ छै कोनो चीज कोनो ने कोनो चीज के खगता जरुर रहै छै...

उ बच्चा मईया-बाबू से खिसियाके काईन के बैठ सकै छेल। ई नै कैर के उ परिस्थितियके समाधान खोजलक गार्ड बनै के...

हमसब कतेक कानै छी?
कहियो अपन कारी रंग के लेल,
कहियो छोटका क़द के लेल,
कहियो परोसी के कार के लेल,
कहियो परोशिया के गर्दन के सीकरी के लेल,
कहियो अपन कम मार्क्स के लेल,
कहियो अंग्रेज़ी, कहियो पर्सनालिटी,
कहियो नौकरी मार तs
कहियो धन्धा में मार के लेल...

अपना सब के इसब से बाहर निकल परै छै...

ई जीवन अछि... यकरा एहिने जिय  परै छै ...

कहानी नीक लागल तs अपन राय जरूर राखी से आश

..✍👤अशोक कुमार सहनी
लहान - ४ रघुनाथपुर ,सिरहा /नेपाल
हॉल ( नाकाबन्दी में परल देश , दोहा/क़तार में )

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