कबिता

नै जानि किए सुन्न भेल गाम-गाम छै

✍👤अमित पाठक

नै जानि किए सुन्न भेल गाम-गाम छै
निशबद्द डीह-डावर उजड़ल उदाम छै
नै जानि किए ~~~~~

जे गाछ-पात नाच करै छल हवाक संग
ल' प्राण-प्रतिष्ठा ओहो ठामेक-ठाम छै
नै जानि किए~~~~~

के आबि हरियरी चढ़ऐत देह पर हमर
दिन-राति यएह गूणैत गाछीक आम छै
नै जानि किए~~~~~

बहिते बसात पछवा पजरल तेहेन अनल
सोनाक ढेर जड़ि क' बनि गेल ताम छै
नै जानि किए ~~~~~

ककरा कहब सुनए के सब आप में बझल
निज जैड़ पकड़ि राखु बाजब हराम छै
नै जानि किए ~~~~~
निशबद्द डीह ~~~~~


                              ✍अमित पाठक

कवि- अमित पाठक जी

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