कबिता

तू मचा देवहि तूफान लगै छी ..

..✍👤'अशोक कुमार सहनी'

हेयगै ककरा जोहैत,देखैछी बाट
तोरा देखई खातिर लगै छौ टाट
तू लहानमें करैभि माइर लगै छी
तू मचा देवहि तूफान लगै छी ..

नै करि सोलासिंगार,
मिलतौ ओहिना हजार
तू रूपके बड़का दुकान लगै छी..
तू मचा देवहि तूफान लगै छी ..

कोई अपन दौलत लुटाबै छौ
सुध-बुध हराके पागल बनै छौ
तू तौइर देबहि सबके गुमान लगै छी..
 तू मचा देवहि तूफान लगै छी ..

हंसि हंसि के जान आय बिजुरी गिराबी
अशोक जी के जूनि पागल बनाबी
तू ललके अंगड़ाई कमान लगै छी..
 तू मचा देवहि तूफान लगै छी ..

..✍👤अशोक कुमार सहनी
लहान - ४ रघुनाथपुर ,सिरहा ,नेपाल
हॉल (दोहा/क़तार)

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