कबिता

मन रहै छल हरदम ओकरे तलास मे 

✍👤शिव शंकर गुप्ता


फेस ओकर गोर छल ,केस ओकर कारि 
ओकरा देख क हमरा भगेल प्रेमक बिमारी 

जाइ छली स्कुल ,बैठै छली कलास मे 
कि कहु यौ मिता मन रहै छल हरदम ओकरे तलास मे 

सर परबैछल जखन,तखन बुझै छली बकबास 
बावुजी मारलक लाठिये लाठी जखन हम नै भेली SLC फेल

हम नै परहली बावु जी, क देलक हमरा शादी 
ओही दिन स सुरू भगेल हमर जीनगी के बरवादी 

आईब गेलौ बिदेश ,चैढ क एयर एसिया मे
कि कहु यौ मिता हमरा फेर लभ भगेल मलेशिया मे 

कि देखलकै मलेशियन लरकी, यि बिदेशिया मे
बित गेल पुरा जिनगी मलेशिया मे 
रैह गेली लभेके रंग रसिया मे 

✍👤शिव शंकर गुप्ता 
गाढा -१ तिलोबोना ,सिरहा,नेपाल

लेखक - शिव शंकर गुप्ता जी

0 टिप्पणियाँ Blogger 0 Facebook

 
अपन मिथिला © 2016.All Rights Reserved.

Founder: Ashok Kumar Sahani

Top