कबिता

सखी हे, पी' बिनु साओन उदास-२
कहु ककरा सँ पीड़-पिरीतक,
कोन विधि खेपब ई मास
सखी हे, पी' बिनु..................

जखनहिं सघन घटा भरि बादरि गरिजए सकल अकाश
मोनक मयूरी छम-छम नाचए आजु मिझत मोर प्यास
सखी हे, पी' बिनु..................

बिनु प्रियतम साओन नहि सओन का पर हृदय हुलास
बरिषए बुन जँ तबधल तन पर बैरिन सम आभास
सखी हे, पी' बिनु.............

कतय गेला नहि जानि पिया मोर कतेक रहब धरि आश
रैन-दिवस एकसरि नहि बीतए चाह करए मन पास
सखी हे, पी' बिनु..............
कहु ककरा सँ.................

अमित पाठक

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