कबिता

हे ब्रह्मचारिणी हे श्रृष्टिकारिणी
दोसर जगदम्ब अवतार
माय हे अहीं जगत आधार
माय हे अहीं जगत...........

श्रृष्टिक प्रसार जखन पड़ल अगम में
सब देव गोहरौलनि अम्बक चरण में
कएलहुँ क्षणहि में विस्तार
माय हे अहीं जगत...........

शोभए कर रुद्राक्ष शोभए कमंडल
झलकि रहल दिव्य रूप शोभित-सुंदर
आँचर में ममताक धार
माय हे अहीं जगत............

हे मोक्षदायिनी कल्याणी रूपा
करब अराधना हे अम्ब स्वरूपा
सुख-दुख अहीं केर भार
माय हे अहीं जगत............
हे ब्रह्मचारिणी..................

अमित.

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