कबिता

भैया नहि एला किए?
निठुर ओ भेला किए?
भैया विना भरदुतियाके,
अबैय ई बेला किए?
अङ्गने-अङ्गने खेलैए सब
भैलो आओर देउसी॥
साल-साल उपरागैए छथि
हुनकर छोटकी मौसी॥
कहथि झुठ्ठे अहाँक भैया,
करैए प्रेम खेला किए?
भैया नहि...
बहिन आब आन भगेल
से त नहि ओ बुझलनि॥
शोणितक नाता छी ई
सेहो नहि कि सुझलनि॥
नहिये आबैक रहनि तखन,
आयब कहिके गेला किए?
भैया नहि...
नहियो आबैत तैयो हुनक
भाग-जीवन जागनि॥
ठोर पर मुस्की खेलनि,
दुख सबटा भागनि॥
प्रेम गीत गबैत रहि,
वितृष्णाके रेला किए?
भैया नहि...
© गीत/संगीत- धीरेन्द्र प्रेमर्षी
© स्वर- रूपा झा,विरेन्द्र झा,धीरेन्द्र प्रेमर्षी,इत्यादि।
© एलबम- प्रेम भेल तरघुस्कीमे

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